Monday, December 1, 2003

एक रहेंगे

कोई हमको कितना टोके, मिल जुल कर रहने से रोके,
अंधेरों में राह न सूझे, फिर भी अपना साथ न टूटे.
एक हैं, हम एक हैं, हम एक रहेंगे.
किसी ने अब तक नहीं किया वो काम करेंगे.
मांग के रब से देख लिया अब सब्र नहीं
लिफ्ट का पैसा – ऐसा वैसा – क़द्र नहीं.
अब हम अपना कम करेंगे,
‘डॉन’ बन गए, माल भरेंगे.
कद्दू, भोंदू, उल्लू के लिए, नई “LIC” लॉन्च करेंगे.
पीछे पड़ जाये परकाले, तब हम अपना भेजा डालें
जेब से चीजें जेब में डालें, हर मुश्किल की हवा निकले.
एक हैं, हम एक हैं, हम एक रहेंगे.
बाधाओं को तोड़ रास्ता साफ करेंगे
नए पंख लग गाये हमें, अब हम चाह्केंगे
सामने जो बनही आएगा उसे सटका देंगे.
अब वो चाहे भाड़ में जाये उसका पत्ता साफ हो जाये
हम सबको आगे बढ़ने से देखो कोई रोक न पाए
एक हैं, हम एक हैं, हम एक रहेंगे.
बन गई अपनी लाइफ अब तो ऐश करेंगे
ऐश करेंगे, ऐश करेंगे, ऐश करेंगे.
एक हैं, हम एक हैं, हम एक रहेंगे.

Saturday, October 25, 2003

हम जैसे यार कहाँ?

मदहोशियाँ छाई हैं, बेहोशियाँ समाई हैं, दिल में हमारे,
हम हैं खामोश क्यों?
कितना घना अँधेरा है, तनहाइयों का डेरा है, हर तरफ,
ऐसी गुमनामी क्यों?
कैसी ये हलचल है, मन क्यों ये चंचल है,
सुख-स्वप्नों का अंचल कहाँ?
मन में ये कैसी घुटन सी है, इन धडकनों में थकन सी है, आज फिर,
ये परेशानी क्यों?
लग गई है खुशियों को फांसी, चेहरे पे छाई उदासी, देखो तो,
रुक गई नब्ज क्यों?
गम का ये दलदल है, आंसू भरा बादल है,
सूरज वो अविचल कहाँ?
छोडो ये अपनी निराशा, आशा को थामो जरा सा, हंस भी दो
हंसने में जाता है क्या?
चेहरे को थोड़ा सा खिलने दो, अपने को खुशियों से मिलने दो, भूलो गम
खुद को न दो तुम सजा.
मिल भी लो यारों से, ओए दिलदारों से,
हम जैसे यार कहाँ?

Wednesday, October 1, 2003

ये क्या है ?

कांव कांव गूँज़ी आवाज़ ,
नहीं छुपा है कोई राज़ ,
हो गया देखो पर्दाफाश ,
रौशन है सारा आकाश .
घड़ी की सुईयां टिक टिक टिक ,
हो गयी हैं कितनी निर्भीक् ,
सब हैं सपनों में खोए ,
घड़ियां फिर भी ना सोएं .
टिटि टी टिंग ,
टिटि टी टिंग ,
टिटि टी टिंग ,
टिटि टी टिंग !
सात बज़े बज़ गया अलार्म ,
नीन्द को क्यों कर दिया हराम ,
क्या होगा इसका अंज़ाम,धड़ाम ,
हो गया काम तमाम .
नीन्द अचानक जब ये टूटी ,’
आठ बज गए चीखें छूटीं ,
पैर में मोजे, मुँह में ब्रश है ,
बाथरूम में हो गई रश है ,
चेहरा धोके बैग सम्भाला ,
चार ब्रेडों को मुँह में डाला .
पिछ्ला सब कुछ भूल चले हैं ,
साईकिल के पीछे झूल चले हैं ,
पहले केवल दस थे बच्चे ,
बाकी सब तो लेट हैं पहुंचे ,
प्रॉफ को लगता रोज है झटका ,
इनके बीच ही क्यों मुझे पटका .
पिछला लेक्चर किया नहीं था ,
टाइम कुछ भी दिया नहीं था ,
आज का कुछ भी समझ न आए ,
लेक्चर यारों हमें रुलाए ,
आखिरी मिनट में आई जम्हाई ,
मिली खुशी, है राहत पाई .
फिज़िक्स पढ़ेंगे दौड़े भागे ,
दोस्तों की भी सीटें टांगे ,
( किसी और को दोष दें काहें ,
कुर्सी मोह तो सब में समाए . )
सोचा है अब ध्यान लगेगा ,
भेजे में अब कुछ तो घुसेगा ,
इंस्ट्र्क्टर बोले समझाये ,
नीन्द से हमको कौन बचाए ,
पलकें भारी – झट से झपकीं ,
कंधे झूले , गर्दन टपकी .
घंटी बजी तो हम भरपाए ,
मैथ्स से हमको कोई बचाए ,
मदद की कोई आस नहीं है ,
सब्र हमारे पास नहीं है .
हम तो देखो रूम पे आए ,
हफ्तों हो गए हमे नहाए ,
शेव करें , खुद को चमकाएं ,
आराम ज़रा फिर हम फरमाएं .
प्रॉफ हमारे दुश्मन हैं ,
अटेंडेंस का क़्वेश्चन है ,
डी 0 में ज़ाना पड़ेगा ,
दौड़ के फिर हमें आना पड़ेगा .
आया देखा ट्रैफिक जाम ,
मेस का खाना हुआ हराम ,
शर्ट पे अपनी दाल उड़ेली ,
नमक था लेना, चीनी लेली .
अरे अभी तो लैब है अपनी ,
फ्रॉड की हमको माला ज़पनी ,
वाइवा में ज़ब भी हम हारें ,
टी ए को तब मस्का मारें .
लैब से आ गए अब हम यारों ,
हो गए खाने चित हम चारों ,
आठ बज़े तक मरे रहे हम ,
उठे तो देखो भूल गए गम .
अब तो देखो धूम मची है ,
हमने दुनिया नयी रची है ,
टी वी , डब्बे संग हमारे ,
गाने भी हैं कुछ को प्यारे .
कहीं पे बुल्ला कटता है ,
कहीं पे हल्ला मचता है ,
बॉट में हुआ बवाल है ,
क्रिकेट नहीं तो फुटबाल है .
चारों तरफ ही मस्ती है ,
सारी जनता फंसती है ,
अब तो कोई रोक नहीं ,
तीन बज़ गए टोक नहीं ,
कौवे बोले भोर हो गई ,
सारी ज़नता अब तो सो गई .
घड़ियां फिर चलने लगती हैं ,
सात पे सूँई फिर दिखती है .
नीन्द को हमने धूल चटाई ,
फिर भी,बकुल कहैं लव कर लो भाई !

Sunday, September 28, 2003

हम न रुकेंगे

हम न रुकेंगे, हम न झुकेंगे
छोड़ा थकना, अब न बुझेंगे.
हर बुझी शमा को हम जलाते रहेंगे.
मस्तानी शाम है, क्या धूम-धाम है
अपनी ख़ुशी में शामिल सारी आवाम है
हम तो गरजेंगे, हम ही बरसेंगे.
ठंडी चिंगारियों में शोले भरेंगे.
कैसी बेहोशी है, कैसी मदहोशी
दिलों में छाई है क्यों ये खामोशी
सब दिल धड्केंगे हम जब मचलेंगे.
इस समां की मस्तियों में जलवे भरेंगे.
झूम जाओ, नाचो गाओ
जाम की धुनों पे, धड़कने बजाओ
प्यार की कलियों से अब ये दिल महकेंगे.

Sunday, August 17, 2003

कुछ नया

हम दीवाने, हमारा तुम ये मचलना देखो.
हम मस्ताने, मस्ती में अपना ये गाना देखो.
हम परवाने, शम्मा पे मरना मिट जाना देखो
एइ ज़माने,
अब तक देखा वही पुराना, अपना नया फ़साना देखो.
नया फ़साना, नई कहानी, नए ढंग से है तुम्हे सुनानी.
जवान दिलों की बात नई है, नया है राजा नई है रानी.
नया जोश है नया जुनूं है, नई मंजिलें हमको पानी.
नए सफर में नए मोड़ पर मिले हमें भी नई दीवानी,
हम दोनों फिर मिलके देखो फिल्मायेंगे नई कहानी.
नए से होंगे गाने उसमें, नया सा होगा डांस,
देखा तुमने बहुत पुराना, नया होगा रोमांस.
नए-नए से जलवे होंगे नई-नई सी बातें.
दिन भी उसमें नए लगेंगे, नयी लगेंगी रातें.
‘सॉरी’ दोस्तों, हम ऐसी कोई फिल्म बना न पाए
इतना ज्यादे बोला तो पर कुछ भी दिखा न पाए.
पर इसका इक ‘रीजन’ भी था वो तुमको हम आज बताएं.
मिलीं तो हमको कई शमायें, पर हम इक भी जला न पाए.
यारों अब तो करो दुआ तुम, हमको भी कोई मिल जाये
कोई हसीना जो हमको तो अपना समझे अपना बताये.
झुक के अपना हाथ बढाकर उसका हाथ हाथों में लेंगे,
उसी पुरानी अदा से देखो हम उसको ये बात कहेंगे.
क्या SSSSSSSS
रंग ज़माने आये थे लो रंग जमाना देखो.

Wednesday, July 23, 2003

आज कभी मेहनत मन देखो

आज की ख़ुशी से देखो गए अपना मन.
शाम है सुहानी मंद चल रही पवन.
मदहोश अपनी आँखों में खिले हैं सपन.
देखो नाच उठी धरती झूम उठा है गगन.
हो सोचो रे………
कभी तुम रोते थे, रोते थे खोते थे.
अपनी दोनों अँखियाँ में सपने संजोते थे.
हार के समुन्दर में उदासी के गोते थे.
फिर भी था जुनूं हमारा, अपनी हस्ती बोते थे.
मेहनत से सिंचित हो, कोंपले लो फ़ुट पड़ीं.
हमसे खुश होके सारी सफलताएं टूट गिरीं,
गिरीं अपनी झोली में, झोली की रात मरी.
सूरज की किरणों संग रिमझिम फुहार जड़ी.
(change of tune)
मन में उमंग, बजे जलतरंग, ऊँची पतंग जाये.
मन बेजुबान, छेड़े जो तान, ये होंठ मुस्कुराएँ.
यारों का साथ, आये है याद, तारे जो हाथ आये.
न जाना भूल, वो सरे शूल, खुशबू जो फूल लायें.
हो गाओ रे…..
(change of tune)
देखो नाच उठी है धरती और झूम उठा है गगन.
आँखें हैं मदहोश अपनी, खिल उठे हैं सपन.
शाम भी है सुहानी, मंद चल रही है पवन.
आज की ख़ुशी से देखो, गाये अपना मन.

23 Jul, 2003

Thursday, June 19, 2003

रो ले मैं मना नही करूंगा

तुम हो उदास, तुम हो हताश, तुम हो निराश,
न रही तुम्हे इच्छापूरण की कोई आस,
सुख पाना है उज्ज्वल भविष्य की है तलाश.
न लगे भूख, न आये नींद, है तुमको लगी हुई
उसी लिप्सा की प्यास.
ये समय तुम्हारा बहुत बुरा,
बस रोने का करता है मन.
पर सोचो – तुमरे हितचिन्तक, तुमरे परिजन,
उच्छ्वास तुम्हारा सुन-सुनकर करते क्रंदन;
तुम नहीं स्वार्थी जो तुम उनके रोने दो.
गम भूल हंसों और स्वजनों को भी हंसने दो.
उठो जरा आगे बढ़कर तुम देखो थोड़ा इधर उधर
क्या बुरा हाल कर लिया है लाखों ने रोकर.
उनकी हालत तुमसे भी देखो है बदतर
बहुत ही कम जन खुश हैं अपनी हालत पर.
क्या कहता मन? की भेड़चाल में शामिल हो
तुम भी जीवन अपना गुजार दो रो-रोकर?
तुम्हारा बुरा समय
जो शुरू हुआ था अभी, अभी कट जायेगा
जो हुआ उसे भगवान बदल न पायेगा
पर निश्चित ही तेरी मेहनत का फल तुझको
सविता की नूतन किरणों से नहलायेगा.
मैं कहता हूँ तुम गम भूलो, पर भूलो न उन शूलों को
जिनने हाथों को घायल कर, है लाल किया कुछ फूलों को.
उन फूलों में है भरी सुगंध
जो तुमको भी नहलाएगी,
जब-जब यादों की गलियों में
उन लाल लहू की धारों को
तुम देखोगे, तो वो तुममें
इक नई उमंग जगाएँगी
तुम चाहोगे मंजिल पाना
पर,
मंजिल खुद तुम तक आयेगी.

Wednesday, April 23, 2003

स्वप्न्शून्य यथार्थ

भविष्य की अनिश्चितताओं से बेखबर
हम सभी,
सुखद भविष्य की कामना को
अपने मन में संजोये, आज
एक नया रूप देने का प्रयास कर रहे हैं.
सभी के सपने, कोमल मृदुल सपने
अंतःकरण को प्रज्वलित कर रहे हैं.
सभी बेखबर हैं आने वाले पल से
पर सभी के मन असीम आकाश में विचरण कर रहे हैं.
सभी के अन्तः में भावों का विशाल समुद्र उमड़ रहा है
साथ में है ढूमिलता के ज्वार-भाटे -
हव सभी क अस्पष्ट,
भाव भी हैं अधखुले पट -
कभी चौखट पर दुनिया को बुलाने का मन करता है
तो कभी जबरन ही द्वार बंद करने का करते हम जतन.
हमें खुद नहीं पता की हम क्या करना चाहते हैं
पर फिर उम्मीदों का इक आशियाँ बनाते हैं.
अपने मन की कल्पनाओं को
यथार्थता की पृष्ठभूमि दे हम
भले ही अपने आप को छल रहे हों
पर हाँ,
हमें विश्वास है की
आज के ये स्वप्न
निश्चित ही कल आने वाली
नई सुबह के साथ
नई किरण बन कर आयेंगे, और हमें
अपनी यथार्थता का बोध कर कर जायेंगे.
हाँ अवश्य,
कल हम सभी स्वस्थ हवा में साँस लेंगे,
एक नई पगडण्डी पर पैर रखेंगे, जो
हमारे स्पर्श से पक्की सड़क में परिवर्तित हो
हमारा मार्ग सुखद और हमारा जीवन समृद्ध बनाएगी.
दुनिया उम्मीदों के पुल पर कायम है
पर उन पुलों को हम देंगे सत्य का स्वरूप
उनकी नींव तैयार कर उन्हें बाँधेंगे हम
मिटा देंगे अनिश्चितताओं को.
सभी के लिए होगा इक सुनहरा भविष्य
सभी को मिलेगा इक नया आसमान,
इक नया सूर्य, एक नया क्षितिज.