तुम हो उदास, तुम हो हताश, तुम हो निराश,
न रही तुम्हे इच्छापूरण की कोई आस,
सुख पाना है उज्ज्वल भविष्य की है तलाश.
न लगे भूख, न आये नींद, है तुमको लगी हुई
उसी लिप्सा की प्यास.
न रही तुम्हे इच्छापूरण की कोई आस,
सुख पाना है उज्ज्वल भविष्य की है तलाश.
न लगे भूख, न आये नींद, है तुमको लगी हुई
उसी लिप्सा की प्यास.
ये समय तुम्हारा बहुत बुरा,
बस रोने का करता है मन.
पर सोचो – तुमरे हितचिन्तक, तुमरे परिजन,
उच्छ्वास तुम्हारा सुन-सुनकर करते क्रंदन;
तुम नहीं स्वार्थी जो तुम उनके रोने दो.
गम भूल हंसों और स्वजनों को भी हंसने दो.
बस रोने का करता है मन.
पर सोचो – तुमरे हितचिन्तक, तुमरे परिजन,
उच्छ्वास तुम्हारा सुन-सुनकर करते क्रंदन;
तुम नहीं स्वार्थी जो तुम उनके रोने दो.
गम भूल हंसों और स्वजनों को भी हंसने दो.
उठो जरा आगे बढ़कर तुम देखो थोड़ा इधर उधर
क्या बुरा हाल कर लिया है लाखों ने रोकर.
उनकी हालत तुमसे भी देखो है बदतर
बहुत ही कम जन खुश हैं अपनी हालत पर.
क्या कहता मन? की भेड़चाल में शामिल हो
तुम भी जीवन अपना गुजार दो रो-रोकर?
क्या बुरा हाल कर लिया है लाखों ने रोकर.
उनकी हालत तुमसे भी देखो है बदतर
बहुत ही कम जन खुश हैं अपनी हालत पर.
क्या कहता मन? की भेड़चाल में शामिल हो
तुम भी जीवन अपना गुजार दो रो-रोकर?
तुम्हारा बुरा समय
जो शुरू हुआ था अभी, अभी कट जायेगा
जो हुआ उसे भगवान बदल न पायेगा
पर निश्चित ही तेरी मेहनत का फल तुझको
सविता की नूतन किरणों से नहलायेगा.
जो शुरू हुआ था अभी, अभी कट जायेगा
जो हुआ उसे भगवान बदल न पायेगा
पर निश्चित ही तेरी मेहनत का फल तुझको
सविता की नूतन किरणों से नहलायेगा.
मैं कहता हूँ तुम गम भूलो, पर भूलो न उन शूलों को
जिनने हाथों को घायल कर, है लाल किया कुछ फूलों को.
उन फूलों में है भरी सुगंध
जो तुमको भी नहलाएगी,
जब-जब यादों की गलियों में
उन लाल लहू की धारों को
तुम देखोगे, तो वो तुममें
इक नई उमंग जगाएँगी
तुम चाहोगे मंजिल पाना
पर,
मंजिल खुद तुम तक आयेगी.
जिनने हाथों को घायल कर, है लाल किया कुछ फूलों को.
उन फूलों में है भरी सुगंध
जो तुमको भी नहलाएगी,
जब-जब यादों की गलियों में
उन लाल लहू की धारों को
तुम देखोगे, तो वो तुममें
इक नई उमंग जगाएँगी
तुम चाहोगे मंजिल पाना
पर,
मंजिल खुद तुम तक आयेगी.
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