Saturday, April 10, 2010

लगा नहीं कछु हाथ

चारंहू दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात
पोथी पढि पढि जग मुआ लगा नहीं कछु हाथ
लगा नहीं कछु हाथ पता चल गई सकल औकात
हम तो बीती बिसार दें, लोग दिलाएं याद

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