Thursday, June 8, 2006

जो रस है यौवन-श्रृंगर में

जो रस है यौवन-श्रृंगर में,
जो छह वसंत की भ्रिंगर में,
जो प्रेम समर्पित है प्रिय को,
वो सतत रहे कण-कण में / वो बसे ह्रदय के कण-कण में.

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