अपने होठों से हंसी को एक बार मिलने दे
जिंदगानी के ग़मों में खुशियाँ घुलने दे
जिंदगी मौत का पैगाम सही जाम सही
धीरे-धीरे निकल जाएगी वो शाम सही
तू उसी शाम में इक दौरे मजा चलने दे
जिंदगानी के ग़मों में खुशियाँ घुलने दे
जिंदगी मौत का पैगाम सही जाम सही
धीरे-धीरे निकल जाएगी वो शाम सही
तू उसी शाम में इक दौरे मजा चलने दे
अपने होठों से हंसी को एक बार मिलने दे
जिंदगानी के ग़मों में खुशियाँ घुलने दे
जिंदगानी के ग़मों में खुशियाँ घुलने दे
तू जो खुद को कभ कुम्हलाया सा पत्ता समझे
धुल की मोती परत में बस उदासी झलके
ओस की बूंदों से तू धुल जरा धुलने दे
अपने होठों से हंसी को एक बार मिलने दे
जिंदगानी के ग़मों में खुशियाँ घुलने दे
धुल की मोती परत में बस उदासी झलके
ओस की बूंदों से तू धुल जरा धुलने दे
अपने होठों से हंसी को एक बार मिलने दे
जिंदगानी के ग़मों में खुशियाँ घुलने दे