हे मानव! कुछ तो धीर धरो.
छोडो तुम ये अकुलाना;
अकुलाहट से होगा क्या,
पड़ जायेगा पछताना.
मन को अपने समझाना.
अकुलाहट से होगा क्या,
पड़ जायेगा पछताना.
मन को अपने समझाना.
हे मानव कुछ तो धीर धरो,
तुम मानव हो, मानव सीमा में रह को कुछ तो तीर धरो.
हे मानव कुछ तो धीर धरो.
तुम मानव हो, मानव सीमा में रह को कुछ तो तीर धरो.
हे मानव कुछ तो धीर धरो.
पांच-अगुण से क्या घबराना.
जब सच औ’सहस हो मन में,
इन सब को मार गिरना.
मानवता को फहराना.
जब सच औ’सहस हो मन में,
इन सब को मार गिरना.
मानवता को फहराना.
हे मानव इनको न छोडो,
इन अवगुणों को दुश्मन मानो, इन पर टूट पड़ो.
हे मानव अब तो वार करो.
इन अवगुणों को दुश्मन मानो, इन पर टूट पड़ो.
हे मानव अब तो वार करो.
दुखियारों का जीवन जीना,
अपने जीवन की ज्योति दिखा,
उनका जीवन चमकाना.
तुम सबका साथ निभाना.
अपने जीवन की ज्योति दिखा,
उनका जीवन चमकाना.
तुम सबका साथ निभाना.
हे मानव सबकी पीर हरो,
ये जन्म तुम्हारा व्यर्थ न जाये, ऐसी सोच करो.
हे अनव सबकी मदद करो.
ये जन्म तुम्हारा व्यर्थ न जाये, ऐसी सोच करो.
हे अनव सबकी मदद करो.
उम्मीद को तुम न सुलाना;
उम्मीद से अपने तन-मन में,
आशा का स्त्रोत जगाना.
तुम नई उमंगें लाना.
उम्मीद से अपने तन-मन में,
आशा का स्त्रोत जगाना.
तुम नई उमंगें लाना.
हे मानव नूतन दृश्य रचो,
इस अजब अनोखी दुनिया में, तुम भी तो कुछ नया करो.
हे मानव तो तो नींव धरो.
धीरज की नैया डूब अ पावे, ऐसी नीर भरो.
हे मानव कुछ तो धीर धरो
इस अजब अनोखी दुनिया में, तुम भी तो कुछ नया करो.
हे मानव तो तो नींव धरो.
धीरज की नैया डूब अ पावे, ऐसी नीर भरो.
हे मानव कुछ तो धीर धरो