Thursday, September 12, 2002

तीर धरो, धीर धरो, नीर भरो, टूट पडो

हे मानव! कुछ तो धीर धरो.
छोडो तुम ये अकुलाना;
अकुलाहट से होगा क्या,
पड़ जायेगा पछताना.
मन को अपने समझाना.
हे मानव कुछ तो धीर धरो,
तुम मानव हो, मानव सीमा में रह को कुछ तो तीर धरो.
हे मानव कुछ तो धीर धरो.
पांच-अगुण से क्या घबराना.
जब सच औ’सहस हो मन में,
इन सब को मार गिरना.
मानवता को फहराना.
हे मानव इनको न छोडो,
इन अवगुणों को दुश्मन मानो, इन पर टूट पड़ो.
हे मानव अब तो वार करो.
दुखियारों का जीवन जीना,
अपने जीवन की ज्योति दिखा,
उनका जीवन चमकाना.
तुम सबका साथ निभाना.
हे मानव सबकी पीर हरो,
ये जन्म तुम्हारा व्यर्थ न जाये, ऐसी सोच करो.
हे अनव सबकी मदद करो.
उम्मीद को तुम न सुलाना;
उम्मीद से अपने तन-मन में,
आशा का स्त्रोत जगाना.
तुम नई उमंगें लाना.
हे मानव नूतन दृश्य रचो,
इस अजब अनोखी दुनिया में, तुम भी तो कुछ नया करो.
हे मानव तो तो नींव धरो.
धीरज की नैया डूब अ पावे, ऐसी नीर भरो.
हे मानव कुछ तो धीर धरो

Thursday, September 5, 2002

दीदी आपके लिए .. 1+1 free

अरे देखो,
वो रात पुरानी है ढल चुकी
इक नया सवेरा निकल चूका
जीवन की सुन्दर बगिया में
देखो इक नया है फूल खिला
जिसकी सुगंध फैलेगी कल
और कल ही वो बतलाएगा
जो पल बीते उसके समक्ष
उनका वो हाल सुनाएगा .
उस कल की  तुम  तुरंत सोचो
और तुरत-फुरत फिर निर्णय लो
क्या करना होगा आज तुम्हे
उस फूल का जो मुर्झाएगा .
उसके मुरझाने से पहले
तुम निश्चित ही कुछ कर जाना
अपने मस्तिष्क हिमालय से
इक नए सूर्य को चमकाना .
जीवन का तेरे – ‘नया साल’
नई उम्मीद जगाता है
इक नई प्रेरणा देकर के
वो ‘नया फूल’ मुस्काता है .

Wednesday, September 4, 2002

दीदी आपके लिए

आपके,
जीवन की सुन्दर बगिया में
आने वाली है ऋतू नई
जिसकी मंजुल ठंडी बयार
देती पेडों को मृदु फुहार
फिर थपकी देती बीजों को
कहती फिरती है अरे उठो
इस मोदित-हर्षित जीवन में
तुम भी कुछ नूतन रंग भरो .
उसकी आहट सुनकर देखो
इक नया पौध है आज खिला
पाकर वो प्यार होए सिंचित
करता ये मन आज दुआ
उस पौधे को देखो, उसकी
अविरल मुस्कानों में खोजो
ऐसे फूलों को, कलियों को
जो नई उर्जा नया जोश
संप्रेषित कर इस बगिया में
दे दें तुमको इक रूप नया .
है यही तमन्ना आज की हम
जब भी फिर से इक साथ चलें
उस बगिया में,
तो हवा कहे
वो फूल जो कल मुरझाया था
इक नई शांति, नई उमंग
इक नई तरंग को लाया था .
हाँ हाँ उसने,
तेरा सपना,
तेरा भविष्य,
फिर से इक बार जगाया था .