Wednesday, July 23, 2003

आज कभी मेहनत मन देखो

आज की ख़ुशी से देखो गए अपना मन.
शाम है सुहानी मंद चल रही पवन.
मदहोश अपनी आँखों में खिले हैं सपन.
देखो नाच उठी धरती झूम उठा है गगन.
हो सोचो रे………
कभी तुम रोते थे, रोते थे खोते थे.
अपनी दोनों अँखियाँ में सपने संजोते थे.
हार के समुन्दर में उदासी के गोते थे.
फिर भी था जुनूं हमारा, अपनी हस्ती बोते थे.
मेहनत से सिंचित हो, कोंपले लो फ़ुट पड़ीं.
हमसे खुश होके सारी सफलताएं टूट गिरीं,
गिरीं अपनी झोली में, झोली की रात मरी.
सूरज की किरणों संग रिमझिम फुहार जड़ी.
(change of tune)
मन में उमंग, बजे जलतरंग, ऊँची पतंग जाये.
मन बेजुबान, छेड़े जो तान, ये होंठ मुस्कुराएँ.
यारों का साथ, आये है याद, तारे जो हाथ आये.
न जाना भूल, वो सरे शूल, खुशबू जो फूल लायें.
हो गाओ रे…..
(change of tune)
देखो नाच उठी है धरती और झूम उठा है गगन.
आँखें हैं मदहोश अपनी, खिल उठे हैं सपन.
शाम भी है सुहानी, मंद चल रही है पवन.
आज की ख़ुशी से देखो, गाये अपना मन.

23 Jul, 2003